
दिनांक: 17-18 सितम्बर, 2025
स्थान: रियाद / इस्लामाबाद
क्या हुआ?
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बुधवार, 17 सितम्बर 2025 को एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते (Strategic Mutual Defence Agreement) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार, अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा।
समझौता उस दौरान हुआ जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ सऊदी अरब दौरे पर थे, और इसे सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा आमंत्रण पर किया गया।
उद्देश्य और अहमियत
सुरक्षा सहयोग को औपचारिक रूप देना और संयुक्त रक्षा प्रणाली को मजबूत करना, ताकि किसी भी बाहरी आक्रमण के मामले में मिलकर कार्रवाई हो सके।
इस समझौते से दोनों देशों की सामरिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है, विशेषकर मध्य-पूर्व व दक्षिण एशिया में बढ़ती अस्थिरता और बदलते सुरक्षा हालात के मद्देनजर।
सऊदी अरब के लिए यह संकेत है कि वह अपने पारंपरिक सुरक्षा गठबंधनों (जैसे अमेरिका के साथ) के अलावा अन्य विकल्पों को भी मजबूत करना चाहता है।
क्षेत्रीय प्रभाव और चुनौतियाँ
भारत की प्रतिक्रियाएँ: भारत ने इस समझौते पर चिंतन और सतर्कता जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाएगा।
क्षेत्रीय संतुलन: यह समझौता संयुक्त रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को नए स्तर पर ले जाने का संकेत है। इस तरह के गठबंधनों से पड़ोसी देशों और साझेदारों में सुरक्षा की स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा।
संभावित खींचतानें: इस तरह के रक्षा समझौते अक्सर सार्वजनिक राय, ऐसे देशों की सुरक्षा-नीतियों और गठबंधनों से जुड़ी चिंताओं को जन्म देते हैं, जिनके बीच जटिल इतिहास रहा है। इसके अलावा, यह देखना होगा कि किस तरह से यह समझौता लागू होगा – क्या यह सिर्फ बयानबाजी है, या वास्तव में मसौदे (operational plans) जिनमें बचाव तंत्र, रक्षा उत्पादन, सैन्य प्रशिक्षण आदि शामिल हैं।
निष्कर्ष
यह “Strategic Mutual Defence Agreement” पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है — दोस्ती को औधोगिक और सामरिक साझेदारी की दिशा में ले जाने वाला। यह सिर्फ एक दूत-समझौता नहीं है, बल्कि सुरक्षा के क्षेत्र में विश्वास, सामरिक स्थिति, और क्षेत्रीय राजनीति के बदलते स्वरूप का आइना है।
