
“चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।”चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।”चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।”चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।”चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।”चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।”चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।”चाय की दुकान पर इश्क़”
कहानी:
सर्दियों की एक सुबह थी। दिल्ली की गलियों में कोहरा पसरा हुआ था। राहुल अपनी रोज़ की तरह कॉलेज जाते वक्त मोड़ पर बनी छोटी-सी चाय की दुकान पर रुका। वहीं पर वो पहली बार सोनम से मिला — गरम चाय का प्याला पकड़े, आँखों में काजल और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए।
राहुल उसे देखते ही ठिठक गया।
“एक चाय देना भैया,” सोनम ने कहा।
राहुल ने भी वही कहा, लेकिन उसकी निगाहें चाय पर कम और सोनम पर ज़्यादा थीं।
हर रोज़ की तरह अब वो चाय की दुकान दोनों के लिए मिलने की जगह बन गई। छोटी-छोटी बातें, कॉलेज की पढ़ाई, मौसम की बातें और फिर दिल की बातें — ये सब शुरू हो गया वहीं से।
एक दिन सोनम ने पूछा, “तुम हर रोज़ यही आते हो?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हें देखने आता हूँ।”
सोनम हँस पड़ी, और तभी राहुल ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
“सर्दियाँ तो हर साल आएँगी, पर क्या तुम हर साल इसी तरह मेरे साथ चाय पीओगी?”
सोनम ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिलाया।